धनु लग्न कुण्डली में ग्रहों के फल

  • धनु लग्न वाले जातकों की जन्म लग्न कुण्डली में प्रथम भाव (जिसे लग्न भी कहा जाता है) में धनु राशि या “9” नम्बर लिखा होता है I नीचे दी गयी जन्म लग्न कुण्डली में दिखाया गया है I

योग कारक ग्रह (शुभ/मित्र ग्रह) :

  1. सूर्य (9th  भाव का स्वामी)
  2. मंगल देव (5th  & 12th भाव का स्वामी)
  3. बृहस्पति  (1st  भाव & 4th भाव का स्वामी)
  4. बुध देव (7th भाव & 10th भाव का स्वामी)

मारक ग्रह (शत्रु ग्रह) :

  1. शनि देव (2nd & 3rd भाव का स्वामी)
  2. चन्द्रमा (8th  भाव का स्वामी)
  3. शुक्र देव (6th  & 11th भाव का स्वामी)

सम ग्रह :

  1. बुध देव (7th भाव & 10th भाव का स्वामी)

एक योगकारक ग्रह भी अपनी स्थित के अनुसार मारक ग्रह (शत्रु) बन सकता है इसलिए ग्रहों की स्थित देख कर ही योगकारक ग्रह का निर्धारण करें I

Learn Astrology in just 7 – 10 days :

Dhanu Lagna kundali analysis 👇👇 #Miscarriage

धनु लग्न कुण्डली में बृहस्पति देवता के फल :

  • धनु लग्न में बृहस्पति देवता पहले और चौथे भाव के स्वामी हैं l उनकी मूल त्रिकोण राशि धनु लग्न भाव में आती है l इसलिए वह कुण्डली के सबसे योगकारक ग्रह माने जाते हैं l
  • पहले , चौथे , पांचवें , सातवें , नौवें , दसवें और 11वें भाव में विराजमान बृहस्पति देवता अपनी  दशा -अंतरा में अपनी क्षमतानुसार शुभ फल देते हैं l
  • दूसरे ( नीच राशि ), तीसरे , छठें, आठवें और 12वें भाव में स्थित  बृहस्पति देव यदि उदय अवस्था में  है तो वह अशुभ फल देंगे क्योँकि इन भावों में वह अपनी योग्यकारकता खो देंगे l
  • कुण्डली के किसी भी भाव में अस्त पड़ें बृहस्पति देवता का रत्न  पुखराज पहन कर उनका बल बढ़ाया  जाता है l
  • अशुभ भावों में पड़ें उदय बृहस्पति देवता का पाठ और दान करके उनकी अशुभता दूर की जाती हैl

धनु लग्न कुण्डली में शनि देवता के फल :

  • शनि देवता इस लग्न कुण्डली में दूसरे और तीसरे भावों के स्वामी हैं l लग्नेश बृहस्पति के विरोधी दल के होने का कारण उन्हे कुण्डली का  मारक ग्रह माना जाता है l अष्टम थ्योरी के अनुसार भी वह मारक ग्रह बन जाते हैं l
  • इस लग्न कुण्डली के किसी भी भाव में पड़ें शनि देव अपनी दशा-अंतरा में अपनी क्षमतानुसार   जातक को कष्ट ही देते हैं l
  • उनका रत्न नीलम धनु लग्न वाले जातक को कभी भी नहीं पहनना चाहिए l
  • शनि का पाठ और दान करके उनके मारकेत्व को कम किया जाता है l

धनु लग्न कुण्डली में मंगल देवता के फल :

  • मंगल देवता इस लग्न कुण्डली में पांचवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं l उनकी मूल त्रिकोण राशि  मेष कुण्डली के मूल त्रिकोण पंचम भाव में आती है l इसलिए वह कुण्डली के अति योग कारक ग्रह माने जाते हैं l
  • कुण्डली के पहले , दूसरे , चौथे , पांचवे , सातवें , नौवें , दसवें और 11वें भाव में पड़ें मंगल देवता अपनी दशा- अंतरा में अपनी बलाबल अनुसार शुभ फल देते हैं l
  • तीसरे , छठें , आठवे और 12वें भाव में यदि मंगल देव अपनी उदय अवस्था में हैं तो अपनी योग कारकता खोकर वह अशुभ फल देतें हैं l
  • किसी भी भाव में अस्त पड़ें मंगल देव का रत्न मूंगा पहन कर उनके बल को बढ़ाया जाता है l
  • छठवें और 12वें भाव में पड़ें मंगल देव विपरीत राज़ योग की स्थिति में आकर शुभ फल देते हैं l परन्तु  इसके लिए बृहस्पति देवता का बलि और शुभ होना अनिवार्य है l आठवें भाव में वह अपनी नीच राशि में होने के कारण विपरीत राजयोग में नहीं आते l
  • अशुभ पड़ें मंगल का पाठ व दान करके उनकी अशुभता दूर की जाती है l

धनु लग्न कुण्डली में शुक्र देवता के फल

  • धनु लग्न कुण्डली में शुक्र देवता छठे और एकादश भाव के मालिक हैं l वह लग्नेश बृहस्पति देवता के विरोधी दल के भी हैं l इसलिए शुक्र देव कुण्डली के अति मारक ग्रह माने जाते हैं l
  • किसी भी भाव में स्थित शुक्र देवता अपनी दशा अंतरा में अपनी क्षमतानुसार जातक को अशुभ फल ही देते हैं l
  • परन्तु छठें , आठवें और 12वें में शुक्र देवता विपरीत राजयोग में हैं तो वह शुभ फलदायक भी बन जाते हैं इसके लिए बृहस्पति देवता का  शुभ और बलि होना अनिवार्य है l
  • धनु लग्न में शुक्र देवता का रत्न हीरा कभी नहीं  पहना जाता क्योँकि वह कुण्डली में रोगेश और मारक ग्रह है l
  • शुक्र देवता के मारकेत्व को हमेशा उनका पाठ व दान करके दूर किया जाता है l

धनु लग्न कुण्डली में बुध देवता के फल :

  • बुध देवता इस लग्न कुण्डली में सातवें और दसवें भाव के मालिक हैं l लग्नेश बृहस्पति से उनका सम का रिश्ता है l कुण्डली में बुध देवता अपनी स्थिति के अनुसार अच्छा या बुरा दोनों ही फल देते हैं l
  • पहले , दूसरे , पांचवें , सातवें , नौवें ,दसवें और 11वें भाव में पड़ें बुध देवता की जब दशा -अंतर  दशा चलती है तो वह अपनी क्षमता अनुसार जातक को शुभ फल देतें हैं l
  • तीसरे , चौथे ( नीच राशि ), छठें , आठवें और12वें भाव में पड़ें  बुध देवता को केन्द्राधिपति का दोष  लग जाता है और वह अपनी कारकता खोकर अशुभ फल देतें हैं l
  • किसी भी भाव में अस्त बुध देवता का रत्न  पन्ना पहनकर उसका बल बढ़ाया जाता है l
  • तीसरे , चौथे , छठें , आठवें व 12वें में उदय अवस्था के बुध का पाठ व दान करके उनकी अशुभता  दूर की जाती है l

धनु लग्न कुण्डली में चंद्र देवता के फल

  • धनु लग्न कुण्डली में चंद्र देवता आठवें भाव के मालिक हैं l अशुभ भावों के मालिक होने के कारण  ही उसे कुण्डली का अति मारक ग्रह माना जाता है l
  • कुण्डली के किसी भी भाव में पड़े चंद्र देवता की जब दशा व अंतर -दशा चलती है तो वह जातक के  लिए कष्टकारी होती है l
  • छठे और आठवें में स्थित चंद्र देवता  विपरीत राजयोग में आकर शुभ फल देते हैं परन्तु इसके लिए लग्नेश बृहस्पति का शुभ और बलि होना अनिवार्य है l
  • 12वें भाव में चंद्र देवता अपनी नीच राशि के कारण विपरीत राजयोग में नहीं आते l
  • इस लग्न कुण्डली में चन्द्रमा का रत्न मोती किसी भी जातक को नहीं पहनना चाहिए  l
  • हमेशा चंद्र देवता का पाठ व दान करके उनके मारकेत्व को कम किया जाता है l

धनु लग्न कुण्डली में सूर्य देवता के फल :

  • सूर्य देवता इस लग्न कुण्डली में नौवें भाव के स्वामी हैं l भाग्येश होने के कारण वह कुण्डली के अति योग करक ग्रह माने जाते हैं l
  • पहले , दूसरे ,चौथे ,पांचवें , सातवें , नौवें  , दसवें  भाव में स्थित सूर्य  देवता अपनी दशा – अंतरा  में अपनी क्षमतानुसार शुभ फल देंगे l
  • तीसरे ,छठें , आठवें, 11वें  नीच राशि) और 12वें भाव में पड़ें सूर्य देवता अपनी  योगकारकता खो देते हैं और अपनी दशा – अंतरा में अशुभ फल देते हैं l
  • शुभ भावों में पड़ें सूर्य देवता का रत्न माणिक पहन कर उसकी शुभता को बढ़ाया जाता है l
  • अशुभ पड़े सूर्य देव का जल देकर और पाठ करके उसकी अशुभता को दूर की जाती  है l

धनु लग्न कुण्डली में राहु देवता के फल :

  • राहु देवता की अपनी कोई राशि नहीं होती है वह अपनी मित्र राशि और शुभ भाव में फल देतें है l
  • कुण्डली के दूसरे , सातवें , दसवें और ग्यारहवें भाव में पड़ें राहुदेव की जब दशा -अंतरा चलती है तो वह अपनी क्षमता अनुसार जातक को शुभ  फल देतें है l
  • पहले (नीच राशि ), तीसरे , पांचवे , छठें , आठवें , नवम और 12वें भाव में पड़ें राहु देव अपनी दशा अंतर दशा में अशुभ फल देते हैं l
  • राहु कl रत्न गोमेद कभी भी नही पहनना चाहिए l
  • राहु का पाठ और दान करके उनकी अशुभता कम की जाती है l

धनु लग्न कुण्डली में केतु देवता के फल :

  • केतु देवता अपनी मित्र राशि और शुभ भाव में ही शुभ फल देते हैं l क्योँकि उनकी अपनी कोई  राशि नहीं होती है l
  • पहले (उच्च राशि ), दूसरे , दसवें और 11वें में  केतु देवता अपनी दशा अंतरा में  शुभ फलदायक होते हैं l
  • तीसरे, चौथे , पांचवे , छठे, सातवें (नीच राशि ), आठवें , नवम और द्वादश भाव में केतु देवता अपनी दशा -अन्तर्दशा में अपनी क्षमतानुसार जातक को कष्ट देतें हैं इन भावों में यह अशुभ होते हैं l
  • केतु का रत्न लहसुनिया कभी भी नहीं पहना जाता l
  • अशुभ केतु का पाठ करके उनकी अशुभता को कम किया जाता है l

Find Right Gemstones for You .

Free Kundali Analysis with Investment Plan:

For Consultation :

Self Made Destiny (Astrology Book)

(12 customer reviews)

530.00

Availability: 1211 in stock

Description

Author’s Name: Mr. Somvir Singh   Title’s Name: Self Made Destiny (Astrology Book) Paperback ISBN: 978-93-5427-087-1 Finish Size/ Book size:  7.25*9.5 inches Paperback MRP:  Rs. 530/- Binding: Paperback Text Pages/ Page count: 217 Text Color (Color or Black & White): Black and White Genre: Astrology Language: Hindi About the book I, Somvir Singh, extend my heartfelt greetings to all my readers. Through this book Self Made Destiny (Astrology Book), I am trying to inform you about the effects of planets. There are innumerable planets in our solar system, out of which there are nine planets that affect the entire human race, Sun, Moon, Mars, Mercury, Jupiter, Venus, Saturn (real planet) and Rahu, Ketu (shadow planet) from all these planets. Rays fall on our body and affect our lives. About the author  The author, Somvir Singh has pursued his Mechanical Engineering from HBTU Kanpur in 2012. Later, he joined IIT Roorkee for Post graduation, and after an year he left the institute due to financial problem and joined PSU HEC Ltd, Ranchi in January 2014. Thereafter, he faced some unforeseen problem in life and consulted to a few astrologers but none were to his satisfaction nor the problem went away. And this is when his journey begun in the field of astrology. After doing research in astrology for more than a couple of years, he has put his learnings and findings in 217 pages as “Self Made Destiny”. In this book, he has covered all articles scientifically. The book is specifically written for anyone who likes to read day-to-day astrology predictions, want to know about yourself and eventually learn astrology. The book is dedicated to his wife who had been a constant support in this journey. Call/Whatsapp : 8674827268 Office Address: Plot-3, BalajiPuram, Makdikheda, Indira Nagar, Kanpur (UP)

Additional information

Weight 0.45 kg

12 reviews for Self Made Destiny (Astrology Book)

  1. Pooja Singh

    Thank you sir for sending me author copy. I have paid Rs 530 to your team dated 01/12/20.
    Read your book . Book is beyond my expectations. Lagna wise prediction and which planet will give good or bad results . You mentioned everything just like baby ko padha rahe hain …. Awesome book .

    Thank you sir . Now I can predict whole family chart and their suitable gemstones. Soon I will order gems on your website.

  2. Vikash Srivastav

    Value for money …. 🙂 Yadi ye book Rs 2000 kee bhee hoti tab bhee main purchase karta . Very deep knowledge and easy to understand sir.
    Thank you so much sir.

  3. Poonam Arora (verified owner)

    Hello sir, I have ordered book . When I will get this book. I have read your ebook on play store . Your book is awesome. Easy to understand. Great concept and 100% accurate analysis scientifically…. Thanks sir and congratulations for your success

    • Somvir Singh (Celebrity Astrologer)

      Thank you for your valuable feedback. Tentative date of delivery: 15 December 2020. Thank you for placing order.

  4. Anjana Chauhan

    Awesome book sir…. Never seen such type of book. Practically knowledge. I have check your ebook… Bahut achhi book h sir… And I want to buy and place order …. Sir 10th Dec ko book aa rahi h … Mjhe kab tak mil jayegi …. Maine book order kr di hai ….

    • Somvir Singh (Celebrity Astrologer)

      We will deliver within 3-5 working days from 10th December. Tentative date of delivery: 15 December 2020. Thank you for placing order.

  5. Dr. Saurabh Singh

    Best book … Amazing articles and easy to understand. Thank you for sharing knowledge with us… I love this book.

    Thank you sir…

  6. Akhil Jain

    Very nice book. Nicely explained “Manglik Yoga” not manglik dosh … Impressive knowledge. Value for money… Paisa vasool book and life time ke liye help kregi …

  7. Sneha Singh

    Sir, your book is awesome. Never seen such type of book… Excellent explaination and good knowledge… Thanks for book

  8. Sneha Singh

    Real Deserve 5 star ratings …. , Very good book and motivational content

  9. Sujit

    Must read this book… I have very negative thinking but after reading this book , I have a positive attitude in right direction and believe in karma and 50% kundali yog . You are right sir. This book is awesome. Your book is going to be rock in couple of years.

  10. Akhil Jain

    Value for money and easy to understand. Bahut achhe se explain kiya hai …. Real fruit of Astrology. Good luck author for your great book .

  11. Akansha Shukla

    Must read …. Very good book and explain with logics .

  12. Shruti verma

    Very good book … Easy to understand. Must learn.

Add a review

Live Chat Support:

Timings: 11:00 AM to 8:00 PM

Leave a Comment